गहन सोच विचार

आज दिनांक 01/10/2021

भई आज तो मैं फिर से जल्दी उठा मतलब आज कल की तुलना में 20 मिनट पहले उठ गया था बोले तो 5:30 बजे। 11 बजे ही सो गया था तो नतीजा साफ है जल्दी सोजाओ और जल्दी उठजाओ। उठते ही फ्रेश हुआ देन एक्सरसाइज किया रनिंग किया माइंड फ्रेश किया और कुछ कुछ अच्छा काम करने का सोचा जो मेरे और मेरे भविष्य के लिए बेहतर हों।

आपको बता दूं कि मैं पिछले 1 साल से यही सोच रहा कि मैं क्या करूंगा ? मेरा भविष्य क्या होगा ? मैं कैसे अपने पैरों पर खड़ा हो पाऊंगा? ऐसा क्या काम है जो मुझे जचेगा? ऐसे न जाने कितने सवाल मेरे मन में चल रहे पिछले एक साल से😅…..

बचपन से पापा ने मन में डाल दिया था कि इंजीनियर बनना है। और मैं तो क्रिकेट देखते और खेलते हुए बड़ा हुआ हूं तो एक वक्त तक उसी का चस्का था कि भई क्रिकेटर ही बनना है। फिर जब पापा से बात किया गया तो कहा गया कि बेटा अभी पढ़ाई करिए ये सब बाद में करिएगा। मैं आगे बढ़ चला ज्यादा सोचा नहीं क्योंकि वैसा माहोल ही नही था कि मुझे प्रोत्साहन मिले क्रिकेट खेलने को। इस सपने को भूलकर मैं कुछ और सोचने लगा जो मुझे अच्छा लगे।

बचपन से ही मुझे अपने देश से बड़ा प्यार रहा है और जितना पढ़ा लिखा सीखा एक बात तो तय था की देश से बढ़कर कोई नई खुद भी नई ना ही परिवार ना कोई और। तो भई अब मन में खयाल आने लगे आर्मी ज्वाइन करने का क्योंकि पढ़े the जवानों के बारे में कि कितने साहसी और जिगर वाले होते हैं। दिल में भारत माता और बटुए में अपना परिवार लिए वो कैसे शरहद पर चला जाता है बिना किसी डर के। ये सब पढ़कर सुनकर तो रोंगटे खड़े हो जाते थे और रोम रोम धधक उठता था, गाथाएं अपने वीर सपूतों की सुन दिल यही गुहार करता है कि अभी फौज में भर्ती हो जाऊं। लेकिन ये इतना आसान कहां? पढ़ाई सढ़ाई करना पड़ता है जोकि आजकल होता नही हमसे।

एक बात बता देना चाहता हूं कि मुझे अपने देश के साथ साथ अपने जवानों से भी उतना ही प्यार है, और पूरा रिस्पेक्ट भी। फ्लो फ्लो में कहां से कहां पहुंच गया मैं😅 ये सब बातें विस्तार से फिर कभी लिखी जाएगी, बरहाल जो आज का एजेंडा है वही लिख दिया जाए।

तो भईया आज भी यही सब सोच रहा था और कुछ करने की कोशिश भी की। मुझे लगता है कि कुछ ऐसा काम करना चाहिए जो मुझे पसंद हो मैं बोर ना होऊं और मेरा मन लगा रहे साथ ही साथ पूरा पूरा दिन एक ही जगह बैठना मत पड़े। तो ऐसा क्या काम है जो मेरी शर्तें पूरी करता हों बहुत सोचा मैने। और बहुत कुछ सोचने के बाद एक चीज आज अपने दिल और दिमाग में निकाल के लाया हूं कि मुझे क्या बनना है और क्यों बनना है।

आज सारा दिन उसी के बारे में खोज बीन की गई जो भी है वो मैं आपको बाद में बताऊंगा, बस इतना है कि बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया हूं इसके लिए और जल्दी से जल्दी सुरु करना चाहता हूं बिना किसी देरी के, लेकिन बहुत कुछ स्किल्स सीखने पड़ेंगे मुझे इसके लिए और खुद को परफेक्ट बनाना पड़ेगा मेरे पार्टनर के साथ। खैर इसकी प्रैक्टिस तो मैने आज ही सुरु कर दी है । पहले से भी थोड़ी जानकारी थी तो उतना मुस्किल नही होगा।

तो बस दोस्तों आज के लिए इतना ही बाकी जो बातें लिखना भूल गया हूं जिनको आपको जानना चाहिए उनको फिर कभी लिख दिया जाएगा याद आने पर दिनांक के साथ। तब तक के लिए अपना खयाल रखिए स्वस्थ्य रहिए, जय हिंद जय भारत।

थकावट भरा दिन

आज दिनांक 30/09/2021

आज मैं सुबह 5:50 बजे उठ गया था, सुबह जल्दी उठना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता है शायद इसलिए भी क्योंकि मैं थोड़ा लेट सोता हूं। सुबह उठते ही सबसे पहले चाचाजी की डांट जैसा की हर रोज होता है, सुबह जल्दी उठो और ताजी वहा लो, धूप लो और सारे काम जल्दी निपटा लो। लेकिन आज की ज्यादातर युवा पीढ़ी ये कहां समझती है, उन्हें तो केवल अपने मोबाइल फोन और गर्लफ्रेंड/ब्वॉयफ्रेंड से प्यार होता है😅, गर्लफ्रेंड तो मेरे पास है नहीं तो फोन से ही प्यार है और मेरे कंप्यूटर्स से भी।

बता दूं की मैं पर्यावरण प्रेमी भी हूं, मुझे पेड़ पौधों और प्रकृति से केवल प्यार ही नहीं उन्हे जीता हूं मैं उनका खयाल भी रखता हूं। तो आज सुबह उठते ही सबसे पहले गार्डन की सैर किया और उनका प्यार लिया वहां बैठ कर।

खैर आज बहुत ही थकान वाला दिन रहा मेरे लिए, मैने बहुत बार ट्रेवल किया आज बहुत सारे काम थे, मेरी छोटी बहनों की परीक्षाएं चल रही तो उनको स्कूल छोड़ना, फिर चाचाजी को स्कूल छोड़ना क्योंकि वो अध्यापिका हैं। और तो और आज हॉस्पिटल भी जाना पड़ा, मेरे छोटे भाई जो 11 वर्ष का है और छोटी बहन जो 10 साल की है दोनो का तबियत ठीक नहीं था, दोनो को हॉस्पिटल ले जाना पड़ा इंजेक्शन लगे दवाई दी गई, भाई का बुखार कुछ ज्यादा ही था तो वक्त लिया ठीक होने में।

फिर मुझे अपनी बहनों को वापस लेने भी जाना था उसके बाद मेरे स्वर्गीय दादाजी के भाई यानी छोटे दादाजी के घर भी जाना था वहां पितृ पक्ष का अंतिम दिन था और कार्यक्रम था, चाचाजी भी स्कूल गए हुए थे तो मुझे ही जाना पड़ा। तो इस तरह से कई बार आना जाना लगा रहा, थोड़ा सिर दर्द भी है बट चलता है इतना।

काफी थक चुका था दादाजी के यहां से आने के बाद तो मैं जैसे सो ही गया ऑलमोस्ट 1 घंटे के लिए। एक बुरी चीज यही होती है की ज्यादा ट्रेवल हो जाता है तो सिर दर्द होना तय है। ऊपर से खाना इतना ज्यादा हो गया था कि दादाजी के यहां खाया ही नही जा रहा था, जैसे तैसे खा पाया। मेरा एक छोटा भाई भी साथ गया था उसने अच्छे से खाया।

तो आज सायद जल्दी सो जाऊं क्योंकि जब थकान होती है तो नींद जल्दी आ ही जाती है आप सबको पता ही होगा। बाकी और तो कुछ खास नहीं था आज बस इतना ही। तो किसी और दिन हाजिर होता हूं अपने बोरिंग से बातों के साथ अगर आपको अच्छा लगता है पढ़ना तो कमेंट में जरूर लिखें कुछ। अच्छा चलिए खयाल रखिए अपना सब जय हिंद जय भारत।😊

आरंभ

आज दिनांक 29/09/2021

बस कुछ वक्त ये लिखने में निकाल रहा कि आज जिन्दगी में क्या तबाही मची और क्या गुलाब खिला😅। बस शुरुआत कर रहा हूं आज की रात से। मैंने दोस्त बनाने छोड़ दिए हैं, बस एक ही दोस्त है लेकिन वह भी अपनी जिंदगी संवारने में लगी है, अब मैं अपने जिंदगी के उथल पुथल किनसे साझा करूं? तो सोचा यहां आ जाता हूं और आप लोगो से शेयर करता हूं कुछ बातें जो मुझे अपने अंदर दबा के नही रखनी।

कुछ बातें मेरे वर्तमान की होगी तो कुछ बीते कल की और शायद कुछ बातें आने वाले कल की भी, कुछ बातें एक एक पल की होगी तो कुछ पल भर की ही। कुछ बातें मेरी नापसंद की होगी और कुछ बातें पसंद की, कुछ मेरे विचार की होगी तो कुछ मेरे दिल की, कुछ परिवार की होगी तो कुछ काम की, कुछ सफर की होगी तो कुछ सफरनामे की। मैं बातें तो करना चाहता हूं पर लोग भी तो नहीं सुनने वाले, शायद पढ़ने वाले मिल जाए 😀।

जब मन करेगा तो लिखूंगा नही करेगा तो बिल्कुल नही, किताबें बहुत पढ़ता हूं आजकल शायद कुछ नया विचार आ जाए कुछ कर जाने की या कुछ नया जानने को मिले, कुछ महापुरुषों के बारे में भी पढ़ रखा है मेने जो मुझे खुद को बहुत पसंद हैं। वक्त के साथ साथ आपको पता चलते जाएगा कि वो कौन हैं और क्यों हैं और उनसे मुझे क्या प्रेरणा मिलती है।

बेरोजगार हूं बहुत लोगो की तरह, तलाश इसकी भी है। करना वही चाहता हूं जो मेरा दिल चाहता है लेकिन कर नही पा रहा, कुछ अपनी मजबूरियां हैं जैसे सबकी होती हैं। ये सब भी पता चल ही जाएगा। वैसे ये गूगल ने हिंदी भाषा वाली टायपिंग कितना आसान कर दिया है, मैं बहुत आसानी से लिख पा रहा हूं, मैं चाहता हूं की सब कुछ मेरे भी भाषा में हो लोग आसानी से समझ सके की मैं कहना क्या चाहता हूं, इसके लिए गूगल भईया का शुक्रगुजार हूं।

फिल्में बहुत देखता था लेकिन आजकल तो वेब सीरीज का जमाना है भाईसाहब, बॉलीवुड से हॉलीवुड तक सफर रहता है, वैसे इसमें भी कुछ नया नहीं है आजकल तो पूरी युवा पीढ़ी लगी हुई है। शायद इसीलिए बेरोजगारी बढ़ गई है। लोग अपना पूरा दिन मनोरंजन में निकाल रहे, भविष्य की चिंता सबको है लेकिन जानते हुए भी कोई गंभीर नही।

खैर ये सब बातें जाने दो होती रहेंगी। तो आज के लिए बस इतना ही, फिर मुलाकात होगी कुछ अनकही बातों के साथ।

सब अपना खायल रखे खरियत से रहे, जय हिंद जय भारत।